हार्ड फोर्क



प्रोग्रामिंग व कोडिंग की दुनिया में फोर्क का मतलब होता है चल रहे कोड में बदलाव कर उसे नए तरीके से काम में लेना। इसे आप अपग्रेड भी कह सकते हैं।

ब्लॉकचेन में फोर्क काफी अहम भूमिका निभाता है और यह फोर्क ब्लॉकचेन में दो प्रकार से किया जाता है:

1. हार्ड फोर्क 

2. सॉफ्ट फोर्क 

तो आइये आज जान लेते हैं कि हार्ड फोर्क क्या होता है और यह ब्लॉकचेन में क्यूं किया जाता है कब इसे करने की जरूरत पड़ी और इसके क्या परिणाम सामने निकाल कर आतें हैं।


हार्ड फोर्क (HARD FORK)



 ब्लॉकचेन में जब हार्ड फोर्क किया जाता है तब उस ब्लॉकचेन में सम्मिलित सभी माइनर, डेवलपर्स और वलिडेटर नोड को अपने मौजूद सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (ASIC MINER) को बदल कर नए सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर के जरिए ब्लॉकचेन में ब्लॉक को माइन और वैलिडेट करना होता है। इससे ब्लॉकचेन का सम्पूर्ण आकार और आधार ही बदल जाता है। कभी - कभार कुछ ऐसी घटनाएं सामने आती है जिन्हे सॉफ्ट फोर्क ( SOFT FORK ) के जरिए भी ठीक करना संभव नहीं होता है । ऐसी स्थिति में ब्लॉकचेन में हार्ड फोर्क के जरिए नई  ब्लॉकचेन की व्यवस्था को बनाया जाता है। 


हार्ड फोर्क (HARD FORK) की जरूरत कब पड़ी


हार्ड फोर्क को तब काम में लाया जाता है जब सॉफ्ट फोर्क से भी ब्लॉकचेन की समस्या का समाधान न हो रहा हो। कभी - कभी सॉफ्ट फोर्क करने के बाद भी मौजूदा ब्लॉकचेन पर वांछित बदलाव या परिणाम ला पाना संभव नहीं होता । ऐसी स्थिति में सॉफ्ट फोर्क की बजाए हार्ड फोर्क कर पूरे ब्लॉकचेन के प्रकार और ढांचे को ही नए सिरे से शुरू कर दिया जाता है।  



हार्ड फोर्क (HARD FORK) के परिणाम


ऐसा ही हार्ड फोर्क का उदाहरण है बिटकॉइन (BITCOIN) से निकाले बिटकॉइन कैश (BITCOIN CASH), बिटकॉइन एस वी (BITCOIN SV), लाइटकॉइन (LITECOIN) और डॉजकोइन (DOGECOIN)। यह सभी कॉइन, बिटकॉइन को हार्ड फोर्क करके बनाए गए है। बिटकॉइन जो कि हर सेकंड 3 से 4 लेन-देन को ही कर सकता है और इसका ब्लॉक साइज़ और ब्लॉक टाइम भी छोटा है। ऐसे में बिटकॉइन कैश, बिटकॉइन एस वी, लाइटकॉइन के डेवलपर्स ने बिटकॉइन के वास्तविक प्रोग्राम की कोडिंग में कुछ बदलाव कर एक नया कॉइन बनाया। इस कॉइन का ब्लॉक साइज़ और ब्लॉक टाइम बिटकॉइन के मुकाबले काफी ज्यादा है और यह  हर सेकंड बिटकॉइन से ज्यादा लेन - देन  को  कर सकता है।


दूसरा हार्ड फोर्क का उदाहरण है इथीरियम (ETHEREUM) का हार्ड फोर्क । जब सन् 2016 में हैकरों के द्वारा इथीरियम के कोड की कुछ खामियों का फायदा उठाते हुए एक वित्तीय कंपनी (DAO) के 11 हज़ार निवेशकों के  60  मिलियन डॉलर के इथीरियम को चुरा लिया गया था। जिसके कारण इथीरियम कम्यूनिटी में काफी हो-हल्ला भी हुआ था  और आज तक इथीरियम का हार्ड फोर्क एक बहस का मुद्दा बना हुआ है । इस सब के चलते इथीरियम का हार्ड फोर्क किया गया और पुरानी ब्लॉकचेन को इथीरियम क्लासिक (ETHEREUM CLASSIC) का नाम दे दिया गया और एक नई ब्लॉकचेन की प्रोग्रामिंग व कोडिंग कर नया सॉफ्टवेयर बनाया गया जिसे इथीरियम के नए ब्लॉकचेन पर माइनिंग और ब्लॉक को वैलिडेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 


हार्ड फोर्क करने के बाद क्या बदलाव होता है?


हार्ड फोर्क करने के बाद एक नया ब्लॉकचेन नेटवर्क सामने आता है। जिसका कोड और सॉफ्टवेयर मौजूदा ब्लॉकचेन से अलग होता है। जो भी माइनर, डेवलपर और वलिडेटर नोड नए ब्लॉकचेन पर जाना चाहते हैं उन्हें अपने हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को नए प्रोग्रामिंग कोड के साथ अपडेट करना होता है। अगर वह पुरानी ब्लॉकचेन पर ही रहना कहते है तो उन्हें कुछ नया करने की जरूरत नहीं होती।