स्मार्ट कान्ट्रैक्ट



ब्लॉकचेन की तकनीक के बारे में पढ़ते हुए या इसको समझते हुए आपको सबको स्मार्ट कान्ट्रैक्ट का नाम बार बार सुनने को मिला होगा। हमने भी अपनी पुरानी पोस्ट में स्मार्ट कान्ट्रैक्ट का जिक्र काफी बार किया हुआ है। जिसे पढ़ कर आपको स्मार्ट कान्ट्रैक्ट क्या होता है, यह जानने की जिज्ञासा उत्पन्न  हुई होगी।


हालांकि आपको बताना चाहेंगे कि स्मार्ट कान्ट्रैक्ट आपके कानूनी कान्ट्रैक्ट नहीं होते हैं। दरअसल स्मार्ट कान्ट्रैक्ट नाहीं स्मार्ट होते हैं और नाहीं यह वो कान्ट्रैक्ट होते हैं जिन्हे हम जानते हैं। मतलब स्मार्ट कान्ट्रैक्ट को कानूनी कामों में नहीं लाया जा सकता है। आधा अधूरा ज्ञान जो यहाँ वहाँ से आप लेते है उसे पढ़ कर अब तक आपने यह धारणा बना ली होगी कि स्मार्ट कान्ट्रैक्ट आपके कानूनी कान्ट्रैक्ट, जो आप कोर्ट कचहरी में बनवाते है, वही होते है और इनमें फ़र्क इतना है कि यह कंप्युटर पर बनाए जातें है। मगर ऐसा नहीं है।





स्मार्ट कान्ट्रैक्ट क्या होते है 


स्मार्ट कान्ट्रैक्ट अगर कागज़ी कान्ट्रैक्ट का डिजिटल रूप नहीं है तो आखिरकार यह है क्या? तो जान लीजिए कि स्मार्ट कान्ट्रैक्ट एक कायदा होता है, नियमों का समूह होता है, तकनीकी भाषा में बोलें तो प्रोटोकॉल (PROTOCOL) होती है यानि सेट ऑफ रुल्स (Set Of Rules), आचार संहिता होती है कंप्युटर प्रोग्राम्स या सॉफ्टवेयर के लिए।


 ब्लॉकचेन पर कोई काम किस तरह से, किस परिस्थिति के पूरा हो जाने पर किया जाएगा। यह नियम एक के बाद एक संभावनाओं को ध्यान में रख कर क्रमबद्ध तरीके से लिखे जाते हैं। एक स्थिति का नियम लिखने के लिए उस परिस्थिति को कब, कैसे, क्या और कितना आदि सब अरंतु-परंतु लगा कर लिखा जाता है। उस लिखे हुए कोड या नियम के अनुसार अगर कोई परिस्थिति ब्लॉकचेन पर होती है तो उसके परिस्थिति के लिए लिखा गया नियम अपने आप लागू हो जाता है क्योंकि स्मार्ट कान्ट्रैक्ट ब्लॉकचेन पर वितरित होते हैं और यह सभी कंप्युटर नोडस के पास होते है। इसलिए सभी कंप्युटर नोडेस को पता रहता है कि किस परिस्थिति में क्या करना है और उसके बाद क्या परिणाम आना होता है।

इसलिए स्मार्ट कान्ट्रैक्ट कोई कानूनी दस्तावेज या अनुबंध नहीं है बल्कि यह ब्लॉकचेन पर काम कर रही कंप्युटर नोड के लिए लिखी गई नियमावली है। यह कंप्युटर नोड के लिए बनाई गई है ताकि वह अपने आप एक काम के पूरा होते ही दूसरा काम शुरू कर दें और लिखे हुए उद्देश्य के पूरा होने पर ही एक स्मार्ट कान्ट्रैक्ट बंद होता है और यह सब घटनाक्रम ब्लॉकचेन पर रिकार्ड होता रहता है। 




स्मार्ट कान्ट्रैक्ट का उदाहरण


मान लीजिए कि आपकी एक सामाजिक संस्था है और आपको 1 महीने की अविधि में किसी भी सामाजिक कार्य के लिए लोगों से चन्दा (Donation) इकट्ठा करना है।  उस काम को पूरा करने के लिए आपको 1 मिलियन यानि 10 लाख रुपये इकट्ठे करने हैं और वो भी एक महीने में। अब आपको पता है कि कोई सामाजिक कार्य एक महीने बाद होना है और आपको 10 लाख रुपये की जरूरत है, अगर 1 महीने तक 10 लाख का चंदा इकट्ठा नहीं होता तो वह सामाजिक कार्यक्रम नहीं होगा और जो पैसा जमा हुआ है वह आपको वापस भी करना है। इस परिस्थिति को आप स्मार्ट कान्ट्रैक्ट में एक के बाद एक नियम लिख कर ब्लॉकचेन पर वितरित कर देंगे। जैसे ही 10 लाख रूपये 1 महीने के दौरान इकट्ठा होंगे वो आपके पास आ जाएंगे, अगर 1 महीने में 10 लाख रुपये इकट्ठा नहीं हुए तो जिन्होंने भी अभी तक चन्दा दिया है उनको उनकी पूंजी वापस हो जाएगी। यह बस एक उदाहरण है आप स्मार्ट कान्ट्रैक्ट लिखते हुए नियमावली अपने हिसाब से बना सकते हैं। 




स्मार्ट कान्ट्रैक्ट के लाभ और सावधानियाँ


हमारे द्वारा दिए गए उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि स्मार्ट कान्ट्रैक्ट तेजी से काम करतें है जैसे ही उसमें लिखी गई परिस्थिति पूर्ण होती है। वह नियमावली के अनुसार  अपने आप अगले नियम पर काम करने लगते हैं। 


यह कम खर्चीले होते हैं, नहीं तो आपको एक व्यक्ति चन्दा इकट्ठा करने और दूसरा व्यक्ति हिसाब -किताब रखने के लिए लगाना पड़ता। 


चूँकि यह स्मार्ट कान्ट्रैक्ट ब्लॉकचेन पर वितरित होतें हैं इसलिए इनमें सुरक्षा भी अधिक होती है। कोई चाह कर भी लिखे हुए नियमों को बदल नहीं सकता। बशर्ते नियम लिखते समय कोई चूक ना की गई हो जैसा की theDAO वाली घटना में हुआ है, जिसके कारण इथीरियम का हार्ड फोर्क करने तक की नौबत आ गई थी।


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