सॉफ्ट फोर्क



प्रोग्रामिंग व कोडिंग की दुनिया में फोर्क का मतलब होता है चल रहे कोड में बदलाव कर उसे नए तरीके से काम में लेना। इसे आप अपग्रेड भी कह सकते हैं ।   

ब्लॉकचेन में फोर्क काफी अहम भूमिका निभाता है और यह फोर्क ब्लॉकचेन में दो प्रकार से किया जाता है -

1. हार्ड फोर्क 

2. सॉफ्ट फोर्क 

तो आइये आज इस लेख में हम जान लेते हैं कि सॉफ्ट फोर्क में क्या होता है और यह ब्लॉकचेन में क्यूं किया जाता है कब इसे करने की जरूरत पड़ी और इसके क्या परिणाम सामने निकालते हैं।


सॉफ्ट फोर्क


सॉफ्ट फोर्क एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मौजूदा ब्लॉकचेन के प्रोग्रामिंग कोड में कुछ नए बदलाव किए जाते है और समस्या को सुलझाया जाता है या कोई नई गुण और विशेषताएँ डाली जाती हैं।

 

सॉफ्ट फोर्क में सिर्फ कोड को ही बदला जाता है माइनर या  वैलिडेटर नोड को नए कोड का उपयोग करके होने वाले लेन - देन  को नए कोड के हिसाब से लिखना होता है। अगर कोई माइनर पुराने कोड का उपयोग कर के लेन -देन  की पुष्टि पुराने कोड से करता है तब भी नया कोड पुराने कोड से बनाए गए ब्लॉक के साथ सम्मिलित करके ब्लॉकचेन में जोड़ दिया जाता है। यह काम तब तक किया जाता है जब तक 51% माइनर नोड नए कोड का उपयोग नहीं करने लग जातीं। इसका मतलब यह नहीं है कि 49% द्वारा माइन किया गया ब्लॉक रिजेक्ट कर दिया जाएगा बल्कि यह पुराने ब्लॉक में सम्मिलित किया जाएगा और नई 51% नोड द्वारा इसे नजरंदाज कर दिया जाएगा। 


 सॉफ्ट फोर्क कब किया जाता है


सॉफ्ट फोर्क को करने का निर्णय उस ब्लॉकचेन के डेवलपर तब लेते हैं जब उन्हें मौजूद ब्लॉकचेन पर कोई नई विशेषता या कोई नया काम करना हो जिससे चलते उस ब्लॉकचेन की गुणवत्ता बढ़ जाए मगर उसके प्रकार और ढांचे को कोई भी फ़र्क न पड़े ।